तेर बिन
तेर बिन दिन में नहीं चैन
तेरे बिन रातें मेरी बेचैन
इस शहर में लगता है हर शख्स अनजाना
तेरा प्यार से बना महल भी लगता है बेगाना
दोस्तों की भीड़ में भी खुद को अकेला पाया
बस तेरी याद में ही सरुर पाया
इंतज़ार में हर लम्हा लगे एक साल
तेरे होने सी है जीवन के सुरों में ताल
सुरज की चमक तो है पुरी
फिर भी क्यूँ लगती है अधूरी
चाँद की चांदनी है निखरी
फिर भी क्यूँ लगती है रात बिखरी
आईने में हैं अपना ही साया
फिर भी क्यूं लगता है पराया
बस लोट आ तो मेरी सांस चले
मेरे सुने घर को रोशनी मिले
मेरी रुकी जिन्दी को शुरुआत मिले
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