Sunday, March 31, 2019

Tere Bin


तेर बिन

तेर बिन दिन में नहीं चैन
तेरे बिन रातें मेरी बेचैन

इस शहर में लगता है हर शख्स अनजाना
तेरा प्यार से बना महल भी लगता है बेगाना

दोस्तों की भीड़ में भी खुद को अकेला पाया
बस तेरी याद में ही सरुर पाया

इंतज़ार में हर लम्हा लगे एक साल
तेरे होने सी है जीवन के सुरों में ताल

सुरज की चमक तो है पुरी
फिर भी क्यूँ लगती है अधूरी

चाँद की चांदनी है निखरी
फिर भी क्यूँ लगती है रात बिखरी

आईने में हैं अपना ही साया
फिर भी क्यूं लगता है पराया

बस लोट आ तो मेरी सांस चले
मेरे सुने घर को रोशनी मिले
मेरी रुकी जिन्दी को शुरुआत मिले

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