एक नई सुबह
आज एक पुरानी किताब का एक पन्ना पलटते हैं
उसमें रखे हुए सूखे इस फूल में खुश्बू न सही
उसकी यादों को दिल के एक कोने में बसा
धीमे से, हौले से इस सफ़े को बदलते हैं !
एक नई कहानी, एक नया किस्सा सुनाते हैं
वक्त के साथ धुंधली हुई दवात की स्याही में
कुछ कच्चे, कुछ पक्के रंग मिलाकर
अगले कोरे कागज़ पर एक नया चित्र बनाते हैं !
प्रेम समुंदर की नई मौजों से क़हक़हे लगाते हैं
रेत पर बने घरौंदों को लहरें तोड़ दे तो क्या
एहसासों की सीपों में बसे नए सुर, उन्हें जोड़कर
सुरीली,प्यारी-सी प्यार की एक नई धुन बनाते हैं !
एक नया लक्ष्य, एक नई मंज़िल सजाते हैं
ये डगर टेढ़ी -मेढ़ी ही सही
नदी के पानी से बहते, पर्वतों को चीरते
क़दमों के कुछ नए निशान बनाते हैं !
एक नए दोस्त, एक नए हमसफ़र को बुलाते हैं
कुछ अपने पीछे छूट गए तो कोई गम नहीं
प्यार और विश्वास की भाषा को जोड़
गहरे प्रेम के कुछ नए रिश्ते बनाते हैं !
एक नया उत्साह, नया जोश जगाते हैं
महीने बदले, साल बदले, दशक बदले
समय का चक्र कभी रुकता नहीं
जिस सुबह आँख खुले उसी को उत्तम बनाते हैं
निश्चय और उमंगों का ताना बाना बुन
हर दिन, हर महीने, हर साल को मधुर बनाते हैं !
अमृत
No comments:
Post a Comment