रंग बिरंगी 12 लाईनों के पहियों पे चलाती
400
किलोमीटर की लम्बाई मिन्टो में समेट कर
हर दिन 47 लाख यात्रिओं की यात्रा सफल कराती
285
स्टेशनो के मुसाफिरों की आन
दिल्ली की शान
है ये दिली मेट्रो
सुबह 5 बजे शुरु हो, रात 11 तक
दो हजार से ज्यादा भ्रमण करती
ऑटोमैटिक द्वार और CCTV कैमरा से सुरक्षित
जाड़े में गर्मी, गर्मी में ठंडक देती
दिल्ली की हवा को साफ़ रखने का प्रयास
हजारों रोजगार पाने वालो की मुस्कान
दिल्ली की शान
है ये दिल्ली मेट्रो
धीमी तेज गति की रफ़्तार पकड़
शहरों गलियों कुचों से निकलती
नीले नीले आसमान पे उडकर
धरती की गुफा को चीरती
तीन मिनट में आने का रखे ध्यान
दिल्ली की शान
है ये दिल्ली मेट्रो
आदर्श नगर से अक्षरधाम, अर्जन गढ़ से आश्रम
बदरपुर से बहादुरगढ़, चांदनी चौक से छतरपुर
द्वारका से दिलशाद गार्डन, नजफगढ़ से नयी दिली
जनकपुरी से जहांगीरपुरी, गुरुग्राम से गोविन्द पुरी
छोटे बड़े सब उप नगरो को महानगर में बांधती
दिल्ली की आन,
दिल्ली की शान
है ये दिल्ली मेट्रो
कर्मचारियों को कार्यालय
छात्रों को विद्यालय ले जाती
पर्यटकों को लालकिला की झलक दिखा
श्रद्धालुओं को मंदिर मस्जिद के दर्शन कराती
सिनेमाघर समय पर पहुंचकर
प्रेमियों के फासले कम कराती
दिल्ली की आन
दिल्ली शान
है ये दिल्ली मेट्रो
दिल्ली में एक नयी उमंग भर दी
जन जन में एक नयी तरंग भर दी
इस शहर को अपने धागों से जोड़ दिया
रुके हुए ट्रैफिक को अमृत का दान दिया
दिल्ली अब मेट्रो से ही चलती
नए भारत की है नयी पहचान
केवल दिल्ली की नहीं
दिल्ली मेट्रो है भारत की शान
अमृत
(My brother Inder Wadhwa and his wife Sangeeta Wadhwa helped to fix the spelling errors and refine the poem. Thanks to them. They are my first reviewers)
3 comments:
Very nice
वाह, क्या बात है|
beautiful poem about delhi metro
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